23 नवंबर से खुलेंगी प्रदेश की सभी अदालतें, होगी आमने-सामने की सुनवाई Nov 17, 2020 |

जबलपुर, प्रदेश की सभी अदालतों में 23 नवंबर से प्रायोगिक तौर पर सामान्य कामकाज प्रारंभ हो रहा है। यह प्रायोगिक व्यवस्था पांच दिसंबर तक लागू रहेगी। इसके बाद कोरोना गाइडलाइन के तहत समीक्षा की जाएगी और यदि संक्रमण फैलने का खतरा ना बढ़ा तो सामान्य कामकाज जारी रहेगा। इस संबंध में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव ने आदेश जारी कर दिए हैं जिससे वकीलों को बहुत बड़ी राहत मिली है।

कोरोना संक्रमण की वजह से मार्च माह से ही प्रदेश की सभी अदालतों में कामकाज बंद है। हाईकोर्ट में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अर्जेंट मामलों की सुनवाई हो रही है। अदालती कामकाज बंद होने की वजह से वकीलों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और इस परेशानी को दूर करने के लिए हाईकोर्ट बर एसोसिएशन और मध्यप्रदेश बार काउंसिल के पदाधिकारियों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव से निवेदन किया था जिस पर उन्होंने आदेश जारी करते हुए प्रदेश की सभी अदालतों में सामान्य कामकाज प्रारंभ करने के आदेश जारी किए हैं। चीफ जस्टिस के आदेश के बाद अब प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई शुरू होनी वाली है जिसमें जमानत, आपराधिक मामले, बीमा क्लेम, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के द्वारा तय की गई समय सीमा वाले मामले प्राथमिकता के आधार पर चुने जाएंगे। सभी अदालतों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा और हर हाल में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना जरूरी होगा। अदालतों में सामान्य कामकाज प्रारंभ होने से सभी वकीलों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि वकीलों के पास काम न होने के चलते धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही थी। ऐसे में कोर्ट को खोलने के आदेश सभी वकीलों के लिए एक राहत लेकर आया है।

देशभर में वकील समुदाय अदालतों में नियमित सुनवाई शुरू करने की मांग कर रहा था और कई जगह प्रदर्शन तक हुए थे। बहरहाल अब मप्र हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश में प्रयोग के तौर पर दो हफ्ते के लिए एक दिन छोड़कर एक दिन चुनिंदा प्रकरणों की सुनवाई करने का ऐलान किया है। ये व्यवस्था 23 नवंबर से 5 दिसंबर तक चलेगी। हालांकि कौन सी कोर्ट में कितने प्रकरणों की सुनवाई की जाना है, ये हर जिले में जिला जज तय करेंगे, क्योंकि सीमित मात्रा में ही प्रकरणों की सुनवाई होगी। इस अवधि में जिन प्रकरणों को सुना जाएगा उनमें रिमांड, जमानत, अपीलें आदि प्रकरण शामिल होंगे, जिनमें सुप्रीम कोर्ट या उ’च न्यायालयों ने निपटारे के लिए समयसीमा तय कर रखी होगी। ये व्यवस्था हर दो दिन में एक दिन छोड़कर एक दिन रहेगी। अन्य मामलों में पहले की तरह ही वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई होगी।

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