जीएसटी रजिस्ट्रेशन क्या है?
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर है, जिसे 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया। जीएसटी को लागू करने का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में एक समान कर लागू करना था। देश में करदाताओं को जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है, क्योंकि जीएसटी ने पहले के तमाम करों की जगह ले ली है। जिन इकाइयों और कंपनियों का सालाना टर्नओवर 40 लाख से अधिक है, उन्हें एक सामान्य करदाता के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।
यही जीएसटी रजिस्ट्रेशन है।
अनेक कारोबार में जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
रजिस्ट्रेशन के बिना व्यापार करना अपराध माना जाता है और पकड़े जाने पर भारी जुर्माना भरना पड़ता है। जो व्यापारी पहले वैट या सर्विस टैक्स के दायरे में आते थे, वे स्वतः ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन के दायरे में आते हैं। यह रजिस्ट्रेशन व्यक्तिगत करदाताओं, एजेंटों और ई-कॉमर्स एग्रीगेटर के सप्लायरों पर भी लागू होता है।
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
जीएसटी रजिस्ट्रेशन आम तौर पर दो से छह दिनों में हो जाता है। आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन का आवेदन पत्र भरना पड़ता है और साथ में जरूरी दस्तावेज लगाने पड़ते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉनिकली अपलोड किया जा सकता है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज
आवेदक का पैन।
आधार नंबर।
बिजनेस रजिस्ट्रेशन का सबूत या इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट।
प्रमोटर्स/डायरेक्टर की तस्वीरों समेत पहचान और पते के सबूत।
कार्यस्थल के पता का सबूत।
बैंक अकाउंट स्टेटमेंट/कैंसल्ड चेक।
डिजिटल हस्ताक्षर।
लेटर ऑफ ऑथोराइजेशन/बोर्ड रेजोल्यूशन फॉर ऑथोराइज्ड सिग्नेटरी।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन फीस।
जीएसटी के लागू होने से सेवा क्षेत्र में अनेक बदलाव आए हैं और एक तय दायरे में आने पर सेवा प्रदाताओं को रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। ऐसे में, सुमित पत्नी के नाम से जो काम कर रहे हैं, उसका सालाना टर्नओवर अगर 40 लाख से अधिक है, तो उन्हें जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
हालांकि कुछ ऐसी संस्थाएं भी हैं, जो उन व्यक्तियों या कंपनियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए कहती हैं, जिनके लिए वे काम करती हैं, क्योंकि ऐसे में, वे उन्हें मुहैया कराई गई सेवाओं पर टैक्स छूट का दावा कर सकती हैं। किसी भी व्यक्ति को जो स्वय नौकरी में हो और अपनी पत्नि के नाम पर व्यापार य़ा व्यवसाय संचालित कर रहा हो उसे जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए, अर्थात जिसमें प्रॉप्राइटर के तौर पर उनकी पत्नी का नाम हो उसके नाम पर
इस तरह व्यापार से होने वाली आय पत्नी के नाम होगी और उस व्यक्ति को नौकरी से मिलने वाले वेतन को इससे अलग किया जा सकेगा। चूंकि बड़ी कंपनियां ऐसे लोगों के साथ काम करने को वरीयता देती हैं, जिनका जीएसटी रजिस्ट्रेशन हो, इसलिए भी ऐसे व्यक्तियों को इसी प्रकिया के तहत ऐसा करना चाहिए।